बीत गया प्यारा बचपन

ममता से माँ ,पिता प्यार से सींचा करते थे तन मन ,

पता नहीं कब कैसे बीता नहीं भूलता वो बचपन |

माँ की आँखों का था तारा पिता का राजदुलारा था ,

मेरी आँखों में हो आंसू उनको नहीं गवारा था |

बड़े लाड़ से सुबह सबेरे अम्मा मुझे जगाती थी ,

मुन्ने राजा भोर हो गयी कह के मुझे उठाती  थी |

नींद भगाने को अँखिओं से गले से मुझे लगाती थी ,

ममता के कोमल हाथों को पीठ पे मेरे फिराती थी |

मेरी हर इक हँसी पर  माँ अंतर से मुस्काती थी ,

बाल सुलभ हर अदा पर  मेरी वारी वारी जाती थी |

मेरा हर पल सुख में बीते सौंप दिया था तन मन धन,

पता नहीं  चुपके से कैसे बीत गया प्यारा बचपन !

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