क्या सुनाऊं

 

नई कौनसी बात सुनाऊं ?

उदयाचल से अस्ताचल तक

कुछ पुनरावृति कुछ पुरुषार्थवही

वही ऋचाएं वही अनुगुंजन

कृष्ण वही हैं वही हैं पार्थ

वही मनीषी वही है चिंतन

सत्य सनातन के रक्षार्थ

कर्ण वही हैं वही दधीची

पुण्य ध्येय  वही परमार्थ

वही क्षुधा है वही अतृप्ति

वही लालसा वही है स्वार्थ

वही त्याग है वही तपस्या

जन गण मंगल है निहितार्थ

राग वही हैं थाट वही हैं

कैसे बंदिश नई सुनाऊं

नई कौनसी बात सुनाऊं ?

 

गलियारा

 

baajiकभी समय के गलियारे में

ताका – झांकी कर लो तुम

भूली बिसरी उम्मीदों से

दो पल बातें कर लो तुम

पता नहीं कब साँझ ढले

कब काया माया छोड़ चले

दुनियादारी ,रिश्ते – नाते

सब बंधन को तोड़ चले

पाना खोना हँसना रोना

ये तो रीत पुरानी है

मेला यूँ ही लगा रहेगा

भीड़ तो आनी जानी है

हर क्षण उसकी कृपा बरसती

अपने हाथ पसारो तुम

बाँटों जितना भी हो पाए

जीती बाजी हारो तुम …..

 

भारत महान है ?

 

नैतिकता नतमस्तक

सत्य पड़ा मसान हैभारत महान है

लाज दे रही दुहाई

भारत महान है ?

मर्यादा मृतप्राय

अचेत संविधान है

नेतृत्व नोच रहा

भारत महान है ?

मातृत्व मौन हुई

देवी निष्प्राण है

लालायित लालसा है

भारत महान है ?

भटकन है पीड़ा है

व्यथित नौजवान है

फंदे पर झूल रहा

भारत महान है ?

फाइलों पर बहती है

सूखा किसान है

ऋण में है डूब रहा

भारत महान है ?

चोर साहूकार बना

साधू शैतान है

पुण्य पर्व हुआ अस्त

भारत महान है ?