जन मन में बसा वो नायक था ,
भारत के गौरव का प्रतीक
वो राष्ट्र प्रेम संवाहक था |
अभिनव प्रयोग था,संबल था
मन वचन कर्म से निश्छल था,
पद लोभ मोह से बहुत दूर
नैतिकता का अविजित बल था |
तप त्याग अहिंसा और अनशन,
अदभुत था जीवन का दर्शन,
तन मन धन से था वो फकीर,
था मानवता का आभूषण |
नियति ने क्रूर विधान रचा,
जन गण में हाहाकार मचा,
हर घर में पसरा था क्रंदन |
हे धर्मनिष्ठ, हे राष्ट्र रत्न,
है कृतज्ञ हर जन गण मन
श्रद्धा का अर्पण करते हैं,
गाँधी हम करते तुम्हें नमन !