कब आयेगें राम ?
अट्टहास कर रहा है रावण
कौन दिलाये त्राण ?
गहन अमावस घिर आया है
आशा दीप जलाओ
बंद करो अब रुदन अमंगल
मंगल ध्वनि बजाओ
अंतस तम से बंधमुक्त हो
प्रज्ञा दीप सजाओ
श्री समृद्धि के स्वागत को
स्व सामर्थ्य जगाओ
दीपपर्व की मंगल वेला
सब सामोद मनाओ
kisi aasu kavi ki tarah deepavali ko dekhte hue yah kavita rachee gayi
hai, aisa prateet hota hai. sakaaraatmakta se bhari hui yah kavita
pathakon me aasha ka sanchaar karti hai.
सुन्दर सृजन
सुंदर रचना Niodemy
अनेक धन्यवाद 🙏🤗