जमूरा

 

आस्था है ,अस्मिता है

अदम्य वो अहसास है

मनुज की हर गम्यता में

व्याप्त वो विश्वास है

वो खड़ा नेपथ्य में

तब पल ये पूरा है 

कर रहा करतब वही

नर तो जमूरा है ……

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