अक्टूबर 7 2012 जमूरा आस्था है ,अस्मिता है अदम्य वो अहसास है मनुज की हर गम्यता में व्याप्त वो विश्वास है वो खड़ा नेपथ्य में तब पल ये पूरा है कर रहा करतब वही नर तो जमूरा है …… इसे शेयर करे:TwitterFacebookपसंद करें लोड हो रहा है... Related
सही है दिव्यांश जी और हम अपने आप को नियंत्रक समझते हैं !!